पाठ. 7. परितंत्र के ऊर्जा प्रवाह
इस पाठ में हम इन का अर्थ समज ले ते हैं।
परितंत्र क्या हैं ?
जैविक और अजैविक घटको की परस्पर क्रिया द्वारा निर्मित तंत्र को परितंत्र क ह ते हैं।
परितंत्र के विभन्न प्रकार कोन से हैं?
जलीय परितंत्र और भू परितंत्र.
( मरू स्थळ,जंगल,सागरी और मिठे पाणी ऐसे प्रकार भी हैं।)
परितंत्र के जैविक तथा अजैविक घटक की अंतरक्रिया किस प्रकार घटित होती हैं?
प्रत्येक घटक को जीवित रहणे के लिए अजैविक घटक की जरूरत हैं।
अजैविक घटक : हवा, पाणी, सूर्यप्रकाश, तापमान आद्रता.
पाठ के कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे:
परितंत्र मे ऊर्जा प्रवाह :
परितंत्र में भक्षक के निम्न स्थर हैं ।
भक्षक के स्थर - शाकाहारी(प्रथम भक्षक): हाथी
मांसाहारी (द्वित्त य भक्षक,) : लोमडी
शाकाहारी तथा मांसाहारी ( सर्वोच्च भक्षक) : शेर
मिश्रा हारी उभया हारी : भालू
खाद्य शृंखला : सजीव मे क्रमशः अंत: क्रिया का अर्थ है खाद्य
खाद्य जाल : सजीव अन्य सजीव का भक्ष्य हैं।
ऊर्जा का पिरामिड :
पोषण स्थर : खाद्य शृंखला ले प्रत्येक स्तर का अर्थ पोषण स्तर
कहते है।
1942 में लिंडमन नामक वैज्ञानिक ने खाद्य श्रृंखला और उसके ऊर्जाप्रवाह का अध्ययन किया।
ऊर्जा का प्रवाह एकदिशाय होता हैं:
ऊर्जा का मुख्य स्रोत है सूर्य . ऊर्जा एक पोषण स्तर से दुसरे पोषण स्तर की और प्रवाहित होती हैं।
विघटकों द्वारा इसमें से कुछ ऊर्जा, ऊष्मा के रूप में उत्सर्जित की जाती है; परंतु इसमें कोई भी ऊर्जा सूर्य की ओर वापस नहीं जाती।
जैव भू रासायनिक चक्र : परितंत्रा मे होनेवाले पोषण द्रव्य ओके चक्रीय स्वरूप के प्रवाह को जैव भू रासायनिक चक्र कहते है
प्रकार : १) वायु चक्र २) भू चक्र
कार्बन चक्र : सजीव के मृत्यू के बाद वायूमंडल की ओर होने वाला अभिसरण
ऑक्सीजन चक्र: जैविक और अजैविक घटक
नायट्रोजन चक्र: जैविक और अजैविक घटक प्रक्रिया से नायट्रोजन गॅस के अलग अलग यौगिक मे होने वाला अभिसरण
प्रश्न उत्तर स्वाधाय :
प्रश्न.१.
1.कार्बन चक्र :
जैविक प्रक्रिया : प्रकाश-संश्लेषण और ज्वलन,
श्वसन,विघटकों द्वारा अपघटन
अजैविक प्रक्रिया : ज्वलन पाणी मे अवशोषण.
2. ऑक्सीजन चक्र :
जैविक प्रक्रिया : प्रकाश संश्लेषण शोषण और विघटन .
अजैविक प्रक्रिया : ओझोन निर्मिती ऑक्साईड निर्मिती.
3. नायट्रोजन चक्र :
जैविक प्रक्रिया :वि घटको द्वारा अपघटन जैविक स्थिरीकरण और अमोनी करण
अजैविक प्रक्रिया: कारखाने बिजली तडक ना .
प्रश्न.२.
१) आहार श्रुखला मे मांसाहारी प्राणियों का पोषण स्तर व्दितीय पोषण स्तर हैं।
उत्तर : आहार श्रुखला मे शाकाहारी प्राणियों का पोषण स्तर व्दितीय पोषण स्तर हैं।प्रथम पोषण स्तर - वनस्पती( उत्पादक) का होता हैं। पोषक द्रव्य वनस्पती से ले ते हैं।
2) पोषण पदार्थ का पारितंत्र में प्रवाह एकदिशीय माना जाता है
उत्तर : पोषण पदार्थ का पारितंत्र में प्रवाह एकदिशीय नहीं होता।पारितंत्र में ऊर्जा का एकदिशीय प्रवाह होता है। पारितंत्र के विभिन्न पोषण स्तरों में ऊर्जा प्रवाह एकही दिशा में होता है।
पोषक द्रव्य केवल उत्पादक की ओर से भक्षक की ओर जाते हैं।
3) पारितंत्र की वनस्पतियों को प्राथमिक भक्षक कहा जाता है।
उत्तर : पारितंत्र की वनस्पति के प्राथमिक भक्षक नहीं होते। सूर्य की ऊर्जा की सहायता से प्रकाश-संश्लेषण करने वाली ये वनस्पतियाँ स्वयंपोषी उत्पादक होती हैं।
प्रश्न.३
कारण लिखो.
1)पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय होता है।
उत्तर : (1) ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत सूर्य है।
2) सभी पारितंत्रों के लिए उत्पादक हरी वनस्पतियाँ सौर ऊर्जा का कुछ परिमाण भोजन के स्वरूप में संग्रहीत करके रखती हैं। 3) यह ऊर्जा एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर तक संक्रमित की जाती है।
4) इनमें से कोई भी ऊर्जा सूर्य की ओर विपरीत दिशा में कभी वापस नहीं जाती।
2) विविध जैव-भू-रासायनिक चक्रों में संतुलन होना आवश्यक है।
उत्तर : 1) प्रकृति में विविध जैव-भू-रासायनिक चक्र संतुलित स्वरूप में चालू रहते हैं।
2) मिट्टी के जीवाणु तथा अन्य विघटक इस चक्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3) जैव-भू-रासायनिक चक्र के असंतुलित हो जाने पर, पारितंत्र ही असंतुलित हो जाएगा तथा कालांतर में नष्ट हो जाएगा।
3)पोषक पदार्थों का पारितंत्रीय प्रवाह चक्रीय होता है।
उत्तर : (1) उत्पादक विविध पोषक पदार्थ मिट्टी में से प्राप्त करके भोजन निर्माण करते हैं। इस प्रक्रिया में वे अकार्बनिक पदार्थों का कार्बनिक पदार्थों में रूपांतरण करते हैं। (2) भक्षक ये भोजन खाते हैं। भक्षकों के विविध पोषण स्तरों से भोज्य रूपी ऊर्जा संक्रमित की जाती है।