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पाठ.7. परितंत्र के ऊर्जा प्रवाह / std.9 th chapter 7.que and ans

 पाठ.7. परितंत्र के ऊर्जा प्रवाह .

प्रश्न क्र. ४ से  प्रश्न क्र. 7  के प्रश्न उत्तर  

प्रश्न.४.आकृती सह स्पष्टीकरण लिखो।

१) कार्बन चक्र : 

 वनस्पती तथा प्राणी की ओर से कार्बन फिर से वातावरण मे आता हैं।
 वातावरण तथा जलाशय मे कार्बन डायऑक्साइड प्रमुख स्रोत हैं।
 श्वसन की प्रक्रिया में वनस्पति तथा प्राणी कार्बोज का ऑक्सीकरण करके ऊर्जा मुक्त करते हैं। उसके साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड गैस वातावरण में छोड़ी जाती है।
 कार्बनिक पदार्थों का सूक्ष्मजीवों द्वारा विघटन होता है।
 इंधन ज्वलन .  

आकृती : बुक से देखकर निकालो

२)  ऑक्सिजनचक्र:  

 हवा में २१% ऑक्सिजन होती हैं
 वनस्पती ,जलचर, प्राणी सब को   श्वसन  के ऑक्सिजन की जरूरत हैं।   
 कोयला , लकडी, पेट्रोल प्राकृतिक गॅस के ज्वलन के लिए ऑक्सिजन की जरूरत हैं।
 वनस्पती  प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया में वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके ऑक्सीजन गैस बाहर छोड़ते हैं।    

आकृती : बुक से देखकर निकालो

3) नाइट्रोजन चक्र :

 वायूमंडल मे सब से अधिक अनुपात में 78% पाया जाता हैं।
 प्रकृति में जैविक तथा अजैविक प्रक्रियाओं से नाइट्रोजन गैस के अलग-अलग यौगिको में होने वाला अभिसरण और पुनः चक्रीकरण 'नाइट्रोजन चक्र' के नाम से जाना जाता है।

 स्रोत : वनस्पती के लिए लवण स्वरूप के नाइट्रोजन ही एकमेव स्रोत हैं

 नाइट्रोजन का स्थिकरण :

हवा में आण्विक नाइट्रोजन का उनके लवणों के स्वरूप में रूपांतरण होने की क्रिया को नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कहते हैं। 

नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के दो प्रकार होते हैं :

 1) भौतिक प्रक्रिया : बरसात मे चमकने वाली बिजली 

  2) जैविक प्रक्रिया: शिंबा वर्गीय वनस्पती के जडो की गाठो में राइबोजियम प्रजाती के सहजीवी जिवाणू रहते हैं।ये जैविक स्थिरीकरण कर ते हैं। उदा. नॉ स्टॉक नील हरित शैवाल .

३) सजीव द्वारा नायट्रोजन के यौगिक का होने वाला उपयोग : प्रोटिन्स तयार करता हैं।

अमोनिकरण : सजीव के अवशेष तथा उत्सर्जित के विघटन से अमोनिया मुकत होता हैं।
नाइट्रीकरण : अमोनिया का रूपांतरण नाइट्राइट तथा नाइट्रेट
में होता है।
 विनाइट्रीकरण - नाइट्रोजन के यौगिकों का नाइट्रोजन गैस में
रूपांतरण होता है।   

प्रश्न .५. विभिन्न जैव-भू-रासायनिक चक्रों का संतुलन बनाए रखने के लिए क्या प्रयास करेगे?

उत्तर : विभिन्न जैव-भू-रासायनिक चक्रों का संतुलन बनाए रखने के लिए  वनस्पती का संवर्धन कर ना , प्राणी का शिकार न कर ना , जंगल के पेड कट नहीं कर ना. ये सारे प्रयास हम सब को कर ना हैं।

प्रश्न.६. आहार शृंखला और खाद्य जाल के बीच अंतर संबंध स्पष्ठ करो।

 :आहार श्रृंखला :

 1) वनस्पती , भक्ष्य कर ने वाले  और मृतोपजीवी सजीवों में सदैव अंतरक्रियाएँ होती रहती हैं। 
2) इन अंतरक्रियाओं का एक क्रम होता है, उसे आहार श्रृंखला कहते हैं।
3) परितंत्र में ऐसी एक-दूसरे से जुड़ी हुई कईं आहार श्रृंखलाएँ समाविष्ट होती हैं।

खाद्य जाल : 

1)परितंत्र में ऐसी एक-दूसरे से जुड़ी हुई कईं आहार श्रृंखलाएँ समाविष्ट होती हैं । इनसे ही खाद्य जाल बनता है।
2) कोई सजीव कई अन्य सजीवों का भक्ष्य होता है
 उदा. कोई कीटक अनेक प्रकार की वनस्पतियों के पत्ते खाता है, परंतु वही कीटक मेंढक, छिपकली, पक्षियों का भक्ष्य होता है।

3) आहार श्रृंखला की जगह जटिल, अनेक शाखाओंवाला जाल बनेगा। इसे ही प्राकृतिक खाद्य-जाल (Food Web) कहते हैं।

प्रश्न.7. जैव भूरासायनिक चक्र क्या है ।

उत्तर  : परी तंत्र मे पोषण द्रव्य के चक्रिया प्रवाह को जैव भू रासायनिक चक्र कहते है

जैव भू रासायनिक चक्र के प्रकार

१) वायु चक्र : प्रमुख अजैविक गैसीय पोषक द्रव्यों का संग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में पाया जाता है। 

२) अवसादन चक्र : प्रमुख अजैविक पोषकद्रव्यों का संग्रह पृथ्वी पर मृदा, अवसाद व अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।  यहा आयर्न (लोह), कैल्शियम, फॉस्फोरस तथा जमीन के अन्य घटकों का समावेश होता है।

जैव भू रासायनिक चक्र महत्व :

१) उत्पादक तथा भक्षकों के मृत अवशेष के मूल तत्त्वों को विघटक पुनः मिट्टी में मिला देते हैं।
२)कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस के जैसे मूलतत्त्वों का चक्रीय प्रवाह पृथ्वी की सतह पर सतत चालू रहता है।

















                                                
                                        
                                                                       

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