दसवी बारावी विदाई भाषण | Tenth Twelfth Farewell Speech
कुछ ही दिनो मे दसवी के छात्र के बोर्ड पेपर शुरु होने वाले हैं। बोर्ड परीक्षा के लिए जाने से पहिले स्कूल से आप को विदाई दि जाती हैं । उस समय (दसवी बारावी विदाई भाषण) किस प्रकार दिया जाता हैं ओ आज हम जानेगें।
दसवी बारावी विदाई भाषण Tenth Twelfth Farewell Speech(toc)
भाषण की शुरुवात कैसे करें ।
विद्यार्थी नाम (----- ) से सभी गुरुओं को नमस्कार। स्कूल का नाम (--------) हाई स्कूल के पेड़ की छाया में एक छोटा सा पक्षी आज अलविदा कहने के लिए खड़ा है। अब यहां बैठी हर छात्रा अपने ससुर के पास जाने वाली दुल्हन की तरह है। शरीर सबका यहां होते हुए भी पुरानी यादों को जगाने के लिए मन गूंगा है। सच में! क्या अविस्मरणीय यात्रा है! इसी मूर्ति विद्यालय में मेरी जैसी मिट्टी का गोला पांचवीं कक्षा में आया था। इस जगह के शिक्षकों ने इस मिट्टी के गोले को प्यार का स्पर्श देकर तो कभी सजा के दीये में जलाकर मूर्ति का रूप दे दिया! यहां के शिक्षकों ने दिया सुंदर मूर्ति का रूप! पांच साल की उम्र से, जैसे-जैसे मेरी शारीरिक ऊंचाई बढ़ती गई, वैसे-वैसे मेरी मानसिक ऊंचाई भी बढ़ती गई। मेरे गुरुओं ने न केवल मुझे अध्ययन के विषयों से दोस्ती की, बल्कि मुझे यह भी सिखाया कि दुनिया में कैसे व्यवहार करना है, कैसे जीना है। केवल छह वर्षों में, ये कैटरपिलर तितलियों में विकसित हुए हैं।
कैटरपिलर पक्षी बन गए, हर जगह उड़ गए।
नई दुनिया, नई आशा, तलाशने की प्रबल इच्छा।
इस स्कूल ने जो मोड़ बनाया, उन पर सफलता की चढ़ाई।
दसवी कक्षा पेपर घंटा बेल नियोजन
स्कूल का अनुभव
इस मोड़ को बनाने के लिए, गुरुओं ने अथक परिश्रम किया। शिक्षकों ने हमारे अज्ञान को अपने ज्ञान, अनुभव, संस्कृति के साथ लेपित किया। मन के कोरे पटल पर समानता और प्रेम के पाठ लिखे हुए थे। और आज वह थाली रत्नों से भरी पड़ी है। अनुशासन के बिना जीवन बिना कंपास के जहाज की तरह है! इसलिए, उसने हमें प्यार से अनुशासित किया ताकि हमारा जीवन छोटा न हो। ऐसा करते हुए, उन्होंने प्रत्येक छात्र को एक ही माप में नहीं तौला। उसने हर पत्थर में भगवान को पाया और उस पर अच्छे विचारों के घाव दिए। और पत्थर को उसकी विशेषताओं के अनुसार भगवान का रूप दिया। उदाहरण के लिए नटराज की मूर्ति को भी आकार दिया गया। स्कूल ने न केवल स्मार्ट छात्रों का एक समूह तैयार किया, बल्कि महान कलाकार और महान खिलाड़ी भी तैयार किए।
आज मेरे दिमाग में स्कूल व्याख्यान, नाटक वाचन, एक-एक्ट नाटक, प्रदर्शनी टेबल, वक्तृत्व प्रतियोगिताएं और स्वागत समारोह हैं। क्या अधिक है, मेरे गुरु जो अपनी सारी शक्ति मेरे लिए उपयोग करते हैं। इसे जीतो …………… .. इसे खो दो …… ..! यह वह जगह है जहाँ व्यक्तित्व पहलू खेल में आता है। कुछ नहीं होता….. कुछ नहीं होता………. बिल्कुल हानिरहित और अंतिम लेकिन कम से कम, आदर्श छात्र आशीर्वाद!
स्कूल मे शिक्षक बनना - एकआत्मविश्वास
शिक्षक दिवस पर प्रधानाध्यापक होने के मात्र 3-31 / 2 घंटे में, मैंने शिक्षकों की कड़ी मेहनत और प्रयासों पर ध्यान दिया और मुझे समुद्र में तैरने का आत्मविश्वास देने के लिए स्कूल को धन्यवाद देने का फैसला किया! हमारी संस्कृति पुराने क्षितिज को नमस्कार करना और नए क्षितिज का आह्वान करते हुए उनका आशीर्वाद लेना है। इसलिए एक स्कूली छात्र के रूप में, मैं, एक स्कूली छात्र के रूप में, उन सभी ज्ञात और अज्ञात शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को संजोता हूं, जो इस अंतिम भाषण में इस संस्कृति के पक्ष में एक कांटा के रूप में मेरे लिए प्रयास करते हैं। खड़ा रहूंगा और मेरी सफलता की सुगंध , सद्भावना हमेशा इस स्कूल को खुश करेगी। इस पाठशाला से, मेरा व्यक्तित्व, एक छोटे से घड़े से लेकर बड़ी भूमि तक, और इसीलिए मैं अंत में यही कहूंगा,
ख़ुशनुमा बचपन
आठवां घंटा
यादों की यादें,
प्रवाह शब्दों का मेल है।
बचपन के साथी,
यादें अभी बाकी हैं।
कुछ गुरु, कुछ साथी,
ये सभी अलग-अलग गुणों के साथ
जैसा हुआ, वैसा ही हुआ,
जीवन की घड़ी।
इसलिए,
वाहिली (अर्पन) शब्दों का मेल है।
स्कूल से विदाई लेते समय
जब आई थी तो बस मिट्टी का संग्रह थी
अब प्यार से बनाई मूर्तियां
गमले की मिट्टी में छोटे पौधे
कल दुनिया की मिट्टी में होगा
घर की तरह मन की पकड़ है स्कूल
आज उस घर को विदाई...
सबका एक सवाल था
कैसे भूले इस माँ को?
जिंदगी को मोड़ किसने दिया
मैं इसे अभी नहीं करना चाहता
आकर बैठेंगे
प्यार की ईंटों से बनाया गया
दीवार के उस वर्ग में
शिक्षक के साथ थे प्यार और स्नेह
अपनी कठोरता के आधार पर
सब मेधावी हो गए।
माँ की ममता एक ही चीज़ देती है
और यह पिता की कठोरता को दर्शाता है।
प्रेम, भाईचारा, मानवता, जिची, झाशी, शिव की शिक्षा, थोर्ता जिन, वैज्ञानिकों की खोजों से मिली सीख,
कल की दुनिया का सामना करने की चुनौती।
आज उसी स्कूल को अलविदा कहो
अभी पता नहीं
पहले दिन मन की स्थिति
मन तो आज भी वैसा ही था
मन में डर आ रहा था
लेकिन रास्ते में ढेर सारा प्यार और यादें हैं। विश्व के सभी विद्वान
हालाँकि, सभी के पास यह शिडोर है
यह कभी बासी नहीं होगा ।
सेंड ऑफ क्या है, तो-
सेंड ऑफ क्या है, तो-
'संदेश का कोई क्षण नहीं;
शुभकामनाओं का पर्व है
बाहर निकलते समय
मेरे पास एक सुस्त दिमाग है! '
'स्कूल के दिन को भूलना नामुमकिन'
कविता मुझे फिर से स्कूल जाना है....
हे नक्की वाचा ⬇️
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